क्या ये धारा 337 ipc bailable or non bailable , क्या ये 337 ipc cognizable है , कितने दिन की 337 ipc punishment है कैसे 337 ipc bailable होती है :
प्रिय पाठक ,मेरे आईपीसी श्रीखला मे आज मे एक और विषय लेकर आया हू मै इस ब्लॉग पोस्ट मै विस्तार से 338 IPC क्या है ,337 आईपीसी मे bail कैसे मिलती है 337 आईपीसी क्या है यह धारा जो को दुर्घटना कर देता है या कोई doctor लापरवाही से काम करता है
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धारा 337 क्या होता है
जो कोई आपने काम उतावलेपन (तेजी से ) या उपेक्षा करता है उसके द्वारा या उसेक काम के परिमाण से मानव –जीवन या वैयक्तिक क्षेम संकटापन्न हो जाए (The personal safety of other ) या घोर उपहति करता है तो वह धारा 337 के दंडनीय होगा ।
उतावलेपन का कार्य क्या है
उतावलेपन का कार्य का मतलब है जो कार्य जल्दबाजी किया जा रहा वह बिना सोचे समझे और असावधानी किया गया हो
Sec 337 IPC मे जमानत कैसे मिलती है
धारा 337 आईपीसी मे जमानत पुलिस से ही मिल जाती है क्योंकि यह अपराध जमंतीय है आप को कोर्ट से जमानत करने की आवश्यकता नहीं है जो पुलिस अधिकारी द्वारा कोर्ट मे चलन फाइल करते है चलन फाइल करते है तो कोर्ट द्वारा समन के माध्यम से अपराधी बुलया जाता है आप को फिर से जमानत की औपचारिकता (formality) वकील के माध्यम से करना होता है जिसमे एक surety देना होता है
धारा 279 337 मे जमानत कैसे मिलती है ?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 279 और 337 दोनों ही जमानती अपराध हैं, जिसका अर्थ है कि इन अपराधों में आरोपी को जमानत प्राप्त करने का अधिकार होता है।
जमानत प्राप्त करने की प्रक्रिया
एफआईआर दर्ज होना:- सबसे पहले, संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज की जाती है। धारा 279 के तहत लापरवाही से वाहन चलाने और धारा 337 के तहत लापरवाही या जल्दबाजी से चोट पहुंचाने का मामला दर्ज होता है।
- गिरफ्तारी: एफआईआर दर्ज होने के बाद, पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है क्योंकि यह संज्ञेय अपराध हैं।
- जमानत बांड: यह अपराध जमानती है तो पुलिस इसमे जमानत देती है , पुलिस गिरफ्तार नही करती है जमानत मंजूर होने पर, आरोपी को एक निश्चित राशि का जमानत बांड भरना पड़ता है और गारंटी देने वाले व्यक्ति (जमानतदार) को भी पेश करना पड़ता है।
धारा 338 आईपीसी के अपराधी को कितने दिनों की सजा(Punishments) मिलती सकती है?
अपराधी के खिलाफ अपराध सिद्ध हो जाता है तो न्यालाय के द्वारा सजा दिया जाता है इस अपराध मे कानून के अनुसार 337 आईपीसी मे जिसकी अवधि 6 महीने तक हो सकती है या जुर्मना से या जो 500 रुपये तक हो सकती है या दो से ,दंडित क्या जाएगा
धारा 337 और 338 आईपीसी से किया क्या अपराध संज्ञेय है
ये अपराध जमानती है कोर्ट जिसमे केस चल रहा है न्यालाय की अनुमति से शमनीय है अपराध का विचरण भी किया जा सकता है
धारा 338 और 279 आईपीसी में थाना में बंद गाड़ी कैसे छुड़वाएं?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 338 और 279 के तहत दर्ज मामलों में, यदि गाड़ी जब्त की गई है, तो उसे छुड़वाने की प्रक्रिया कुछ महत्वपूर्ण चरणों का पालन करके की जा सकती है। सबसे पहले, आपको संबंधित थाना में जाकर एफआईआर की एक कॉपी प्राप्त करनी होगी
इसके बाद, आपको एक सुपरदारी आवेदन देना होता है आवेदन के साथ मे दस्तावेज़ जैसे गाड़ी के पंजीकरण प्रमाणपत्र (RC), बीमा कागजात, और पहचान पत्र की प्रतिलिपि लाने होते है , यह आवेदन आप स्वयं या अपने वकील के माध्यम से संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं। मजिस्ट्रेट आपकी आवेदन पर सुनवाई करेगा और यदि वह आवेदन स्वीकार करता है, तो कोर्ट एक आदेश जारी करेगा। इस आदेश को “रिलीज ऑर्डर” कहा जाता है। इसके बाद, आपको यह आदेश संबंधित थाना में प्रस्तुत करना होगा।
भारतीय दंड संहिता की धारा 337, 338 और 279 का सारांश
धारा | अर्थ | जमानती | संज्ञेय | समझौता योग्य | सजा |
---|---|---|---|---|---|
धारा 337 | लापरवाही या जल्दबाजी से कार्य करना जिससे किसी व्यक्ति को चोट पहुंचे | हाँ | हाँ | हाँ | छह महीने तक की कैद, या पांच सौ रुपये तक का जुर्माना, या दोनों |
धारा 338 | लापरवाही या जल्दबाजी से कार्य करना जिससे किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचे | हाँ | हाँ | हाँ | दो साल तक की कैद, या एक हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों |
धारा 279 | सार्वजनिक मार्ग पर लापरवाही से वाहन चलाना | हाँ | हाँ | हाँ | छह महीने तक की कैद, या एक हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों |
धारा 337 आईपीसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: धारा 337 आईपीसी क्या है?
उत्तर: धारा 337 भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत एक प्रावधान है जो किसी व्यक्ति द्वारा जल्दबाजी या लापरवाही से किए गए कार्य के कारण किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुँचाने से संबंधित है। इसमें चोट मामूली होनी चाहिए और इस धारा के तहत सजा में छह महीने तक की कैद या पांच सौ रुपये तक का जुर्माना, या दोनों शामिल हो सकते हैं।
प्रश्न 2: धारा 337 के तहत अपराध जमानती है या गैर-जमानती?
उत्तर: धारा 337 के तहत अपराध जमानती है। इसका मतलब है कि आरोपी को जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
प्रश्न 3: क्या धारा 337 के तहत अपराध संज्ञेय है?
उत्तर: हाँ, धारा 337 के तहत अपराध संज्ञेय है। इसका मतलब है कि पुलिस इस मामले में बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है और जांच शुरू कर सकती है।
प्रश्न 4: धारा 337 के तहत अपराध समझौता योग्य है या नहीं?
उत्तर: हाँ, धारा 337 के तहत अपराध समझौता योग्य है। पीड़ित और आरोपी के बीच समझौता हो सकता है और मामला अदालत के बाहर सुलझाया जा सकता है।
प्रश्न 5: धारा 337 के तहत सजा क्या है?
उत्तर: धारा 337 आईपीसी के तहत सजा में अधिकतम छह महीने की कैद, या पांच सौ रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
प्रश्न 6: धारा 337 के मामले में एफआईआर कैसे दर्ज की जाती है?
उत्तर: धारा 337 के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए संबंधित थाने में जाकर घटना की रिपोर्ट करनी होती है। पुलिस द्वारा जांच के बाद एफआईआर दर्ज की जाती है और आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाती है।
प्रश्न 7: क्या धारा 337 के तहत मामला अदालत में जाने पर क्या प्रक्रिया होती है?
उत्तर: एफआईआर दर्ज होने के बाद, पुलिस जांच करती है और चार्जशीट तैयार करती है। मामला अदालत में जाता है जहां सुनवाई होती है। आरोपी और पीड़ित दोनों के सबूत पेश होते है और सबूतों के आधार पर न्यायालय निर्णय लेता है।
निष्कर्ष
धारा 337 आईपीसी के अंतर्गत अपराध और उससे संबंधित प्रक्रियाओं को समझना महत्वपूर्ण है। यह धारा व्यक्ति के कानूनी अधिकारों की रक्षा करते हुए न्याय की प्राप्ति में मदद करती है। यदि आप को कोई समस्या है तो मुझसे कोनेक्ट हो सकते है