परिचय :
आज के समय मे घरेलू हिंसा एक गंभीर समस्या है जो दुनिया और देश भर में लाखों महिलों को को प्रभावित करती है। यह किसी भी प्रकार का प्रतारण शारीरिक, भावनात्मक, यौन या आर्थिक शोषण है जो घरेलू संबंध में होता है। यह कानून महिलों को सुरक्षा प्रदान करता . यह नागरिक उपचार प्रदान करता है ,एक महिला के अधिकारों का प्रवर्तन जैसे निवास, भरण-पोषण का अधिकार,अभिरक्षा, सुरक्षा और मुआवज़ा.
इस ब्लॉग में, हम घरेलू हिंसा के 5 प्रकारों पर चर्चा करेंगे। हम यह भी जानेंगे कि अगर आप पीड़ित हैं तो आपको क्या करना चाहिए।
Table Contents
“घरेलू हिंसा” वाक्यांश का वास्तव में क्या अर्थ है?
भारतीय कानून में घरेलू हिंसा की परिभाषा : भारत में, घरेलू हिंसा की परिभाषा अधिनियम, 2005 की धारा 3 में दी गई है। इस धारा के अनुसार, घरेलू हिंसा का अर्थ है:
- कोई भी कार्य या चूक या आचरण जो नुकसान पीड़ित व्यक्ति पहुँचाता है या चोट पहुँचाता है
- पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, अंग या कल्याण को खतरे में डालता है, चाहे वह मानसिक हो
- या शारीरिक हिंसा।
इसमें शामिल हैं:मारपीट, प्रताड़ना, या जबरन शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करना।
- गाली-गलौज, अपमान, या धमकी देना।
- आर्थिक नियंत्रण, जैसे कि पैसे या संपत्ति तक पहुंच को सीमित करना।
- बच्चों के साथ दुर्व्यवहार या लापरवाही।
- दहेज के लिए जबरन वसूली।
पीड़ित महिला को अधिकार और कानूनी उपचार प्रदान किया गया है
घरेलू हिंसा की पहचान करना: दुर्व्यवहार के प्रकार और रूप पीडीडीटी अधिनियम के अनुसार, घरेलू हिंसा में निम्नलिखित शामिल हैं:
शारीरिक हिंसा -शारीरिक हिंसा, जैसे कि थप्पड़ मारना, लात मारना, पीटना, या जलाने से जलाना
उदाहरण – “शारीरिक हिंसा” का मतलब किसी भी ऐसे कार्य या व्यवहार से है जिससे शारीरिक दर्द, हानि या जीवन, अंग या स्वास्थ्य को खतरा होता है या पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य या विकास को नुकसान पहुंचता है। इसमें मारपीट, धमकाना और जबरदस्ती करना शामिल है।
सरल शब्दों में, शारीरिक हिंसा किसी भी ऐसे काम को कहते हैं जिससे किसी को शारीरिक रूप से चोट पहुंचे, दर्द हो या खतरा हो। इसमें पीटना, धक्का-मुक्की, मारना, या किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाना शामिल है।
यौन हिंसा-यौन हिंसा, जैसे कि बलात्कार, यौन उत्पीड़न, या जबरन गर्भपात
मानसिक हिंसा-भावनात्मक या मानसिक हिंसा, जैसे कि धमकी देना, अपमान करना, या नियंत्रण करना
आर्थिक हिंसा-आर्थिक हिंसा, जैसे कि आय तक पहुंच को सीमित करना, या संपत्ति को जब्त करना
घरेलू हिंसा मामले की प्रक्रिया
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत, घरेलू हिंसा के मामले में पीड़ित महिला निम्नलिखित प्रक्रिया के माध्यम से न्याय प्राप्त कर सकती है:
जब घरेलू हिंसा हो : मामला दर्ज से लेकर फैसले तक
कदम 1 : शिकायत दर्ज करना
- पीड़ित व्यक्ति सुरक्षा अधिकारी (PO) या सेवा प्रदाता (SP) के पास जा सकता है।
- PO/SP घरेलू हिंसा की शिकायत को एक “घरेलू घटना रिपोर्ट (DIR)” में लिखते हैं।
- इसकी कॉपी मजिस्ट्रेट, पुलिस स्टेशन और SP को भेजी जाती है।
- शिकायत कैसे लिखते है लिंक को cilck करे
कदम 2 : आवेदन करना
- अगर पीड़ित कोर्ट में केस चलाना चाहता है, तो PO उसका आवेदन और DIR कोर्ट में दाखिल करते हैं।
- अगर पीड़ित सीधे कोर्ट जाता है, तो कोर्ट PO को DIR बनाने और दाखिल करने का निर्देश दे सकता है।
- जल्दी राहत के लिए affidavit जमा किया जा सकता है।हलफनामे में तत्काल अंतरिम या एकपक्षीय राहत की मांग की जा सकती है ,आवेदन के साथ यह भी दाखिल करना होगा
- केस मजिस्ट्रेट कोर्ट (फर्स्ट क्लास या मेट्रोपॉलिटन) में उसी जगह दाखिल करना होता है जहां कोई पक्ष रहता है, काम करता है या जहां हिंसा हुई है।
कदम 3 : नोटिस भेजना
- आवेदन मिलने के बाद, कोर्ट प्रतिवादी को पेश होने के लिए नोटिस भेजता है। PO यह सुनिश्चित करते हैं कि नोटिस दाखिल होने के दो दिन के अंदर भेज दी जाए।
कदम 4 : सुनवाई
- नोटिस मिलने के बाद, पहली सुनवाई के साथ ट्रायल शुरू होता है।
- विपक्षी पक्ष कोर्ट मे अपना जवाब देना होता है साथ मे इंकम ऐफिडेविट भी फाइल करना होता है
- दोनों पक्ष अपने इंकम affidavit में देते हैं और प्रतिवादी को जवाब देने का मौका दिया जाता है।
- कोर्ट गवाहों को बुला सकता है।
- अगर प्रतिवादी नहीं आता, तो कोर्ट उसके खिलाफ ए
- क
- क्स-पार्टे आदेश दे सकता है।
- किसी भी समय अंतरिम आदेश दिया जा सकता है।
- कोर्ट दोनों पक्षों को काउंसलिंग के लिए भी भेज सकता है।
कदम 5 : फैसला
- सभी सबूतों के बाद, कोर्ट अंतिम फैसला सुनाता है, जिसे पूरे भारत में लागू किया जा सकता है।
- कोर्ट PO और पुलिस को आदेश लागू करने में मदद के लिए कह सकता है।
कदम 6 : फैसले के बाद
- सुरक्षा आदेश का उल्लंघन घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 31 के तहत जमानत-रहित अपराध है। इसके उल्लंघन पर Cr.PC के तहत कार्रवाई होगी।
क्या कोर्ट अस्थायी आदेश घरेलू हिंसा मे दे सकती है
हा ,शिकायत दर्ज करने के बाद, मजिस्ट्रेट पीड़ित महिला के पक्ष में अस्थायी आदेश जारी कर सकता है। इन आदेशों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
1. सुरक्षा आदेश: ये आदेश अपराधी को पीड़ित के पास जाने, उन्हें परेशान करने या संपर्क करने से रोकते हैं।
2. निवास आदेश: ये आदेश तय करते हैं कि किसको घर में रहने का हक है।
3. आर्थिक मदद का आदेश: ये आदेश तय करते हैं कि अपराधी पीड़ित को कितना पैसा देगा, जैसे मेडिकल खर्चे, नुकसान हुए सामान की भरपाई, रोजगार छूटने से हुए नुकसान के लिए मदद या नियमित गुजारे के लिए पैसे।
4. बच्चों की अस्थायी देखभाल का आदेश: ये आदेश तय करते हैं कि अस्थायी तौर पर बच्चों की देखभाल कौन करेगा।
5. मुआवजा आदेश: ये आदेश तय करते हैं कि अपराधी पीड़ित को शारीरिक और मानसिक नुकसान के लिए कितना हर्जाना देगा।
घरेलू हिंसा में कितनी सजा है
हां, अगर कोई सुरक्षा आदेशों का उल्लंघन करता है तो उसे सजा मिल सकती है। सुरक्षा आदेश ऐसा एक आदेश है, जो कोर्ट किसी महिला की रक्षा के लिए देता है। यह आदेश आरोपी को महिला सुरक्षा , उसे परेशान न करने या मारपीट न करने का निर्देश देता है।
अगर आरोपी इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसे दो तरह की सजा मिल सकती है:
- जुर्माना:आरोपी को 20,000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
- जेल:आरोपी को एक साल तक की जेल हो सकती है।
- दोनों:कुछ मामलों में, जुर्माना और जेल दोनों सजाएं आरोपी को मिल सकती हैं।
- सुरक्षा आदेश का उल्लंघन संज्ञेय और गैर-जमानती है
यह इसलिए किया जाता है कि कोई भी सुरक्षा आदेशों का मजाक न उड़ाए, और महिलाओं को सुरक्षित वातावरण मिले।अगर आपको लगता है कि कोई आपके खिलाफ सुरक्षा आदेशों का उल्लंघन कर रहा है, तो आप तुरंत सुरक्षा अधिकारी Protection Officer ,न्यायालय को सूचित करें। न्यायालय आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।
घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करने की समय अवधि क्या है?
जब से पीड़ित के साथ अपराध होने के एक वर्ष मे मामला दर्ज कर सकती है ।
अंतिम शब्द
घरेलू हिंसा एक गंभीर समस्या है। यह पीड़ित महिलाओं और बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकती है।
यदि आप घरेलू हिंसा का शिकार हैं, तो हिम्मत मत हारो। मदद उपलब्ध है।
आप निम्नलिखित से संपर्क कर सकती हैं:
- महिला हेल्पलाइन: 1800-102-1212
- महिला आयोग: 1800-120-7200
- पुलिस: 100
आप स्थानीय महिला हेल्पलाइन या सेवा प्रदाता से भी संपर्क कर सकती हैं। इन संस्थाओं के पास घरेलू हिंसा के पीड़ितों को कानूनी, आर्थिक और भावनात्मक सहायता प्रदान करने के लिए संसाधन हैं।
आप निम्नलिखित वेबसाइटों से भी मदद ले सकती हैं:
- राष्ट्रीय महिला आयोग की वेबसाइट: https://www.ncw.nic.in/
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की वेबसाइट: https://wcd.nic.in/
- आप इस वेबसाईट से हेल्प लाइन से मदद ले सकते है
याद रखें, आप अकेली नहीं हैं। मदद उपलब्ध है।
2 thoughts on “घरेलू हिंसा के 5 प्रकार: जानिए क्या करना है अगर आप पीड़ित हैं! DV act case 2005”
Comments are closed.