परिचय:
क्या आप पत्नी है या माता -पिता या बच्चे ? आप के पति द्वारा बच्चे को क्या neglect (उपेक्षा) करते है ? क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की धारा 125 भारतीय कानूनी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है, जो उन व्यक्तियों /महिलों को भरण –पोषण सुनिश्चित करती है जो अपने आप को पालन-पोषण करने में असमर्थ हैं। इस धारा के अंतर्गत व्यक्तियों को उनके पति, बच्चों और माता-पिता से वित्तीय समर्थन मांगने का अधिकार होता है, आप कोर्ट मे धारा 125 crpc in hindi के तहत वाद कर सकते है, न्यालाय द्वारा आप को आंतरिक गुजारा भत्ता देने का फैसला जल्दी दे सकती है । शुरू करने के लिए क्या प्रक्रिया होती है और इसके अंतर्गत वित्तीय सहायता मांगने वाले व्यक्तियों को क्या अधिकार प्रदान करता है। चाहे आप पति हों, पत्नी हों, माता-पिता हों या बच्चे हों, यह महत्वपूर्ण है कि आप इस कानूनी के तहत अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझें।
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Table Contents
- 1 सीआरपीसी की धारा 125 क्या है?
- 1.1 भरण –पोषण के लिए आवेदन कौन कर सकता है
- 1.1.1 भरण-पोषण के लिए आवेदन किस आधार पर किया जा सकता है
- 1.1.1.1 गुजारा भत्ते का आवेदन किसके विरुद्ध में किया जा सकता है
- 1.1.1.1.1 पत्नी कब अपना गुजारा भत्ता पाने की अधिकरणी नहीं है
- 1.1.1.1.2 अब हम यह भी समझेंगे कि पर्याप्त कारण क्या है
- 1.1.1.1.3 इसके उदाहरण के माध्यम से समझेंगे यदि कोई पति दूसरा विवाह कर लेता है और पहली पत्नी से अलग रहता है या पति अपने पास कोई रखैल रख लेता है, तो उसे पत्नी उसके साथ रहने के लिए इंकार कर सकती है यह इनकार करना पर्याप्त कारण माना जाएगा।
- 1.1.1.1 गुजारा भत्ते का आवेदन किसके विरुद्ध में किया जा सकता है
- 1.1.1 भरण-पोषण के लिए आवेदन किस आधार पर किया जा सकता है
- 1.1 भरण –पोषण के लिए आवेदन कौन कर सकता है
सीआरपीसी की धारा 125 क्या है?
पत्नी ,संतान , माता –पिता भरण –पोषण एवं करने के लिए वह धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत वाद कर सकता/ सकती है कानून आप को अधिकार प्रदान दिया हुआ है इस धारा के अंतर्गत कोई भी सजा नहीं दी जा सकती है बल्कि निवारक है । यह धारा सभी धर्म पर लागू होती है मुस्लिम पत्नी भी इस धारा तहत के भरण –पोषण की मांग कर सकती है । पत्नी को गुजारा भत्ता कितना देना पड़ता है जो मजिस्ट्रेट ठीक समझे ।
भरण –पोषण के लिए आवेदन कौन कर सकता है
निम्नलिखित लोग मैन्ट्नन्स के लिए आवेदन कर सकते है जो स्वयं maintenance नहीं कर सकते है :-
पत्नी : – विवाहित पत्नी अपने पति से गुजारा भत्ता इस धारा के अंतर्गत ले सकती है । ‘wife ‘ पत्नि शब्द के अनुसार वह महिला भी शामिल है जिसका तालक हो गया है, परंतु उसका पुनर्विवाह नहीं हुआ हो ।
- धर्म या अधर्मज अवयस्क पुत्र या पुत्री – धर्म या अधर्मज अवयस्क पुत्र या पुत्री अपना गुजारा करने मे असमर्थ हो वह भी कोर्ट मे गुजारा भत्ता का आवेदन कर सकते है । दोनों धर्म या अधर्मज संतनों को मैन्ट्नन्स ( maintenance) पिता से लेने का भी अधिकार है।
- अविवाहित वयस्क पुत्री या वयस्क पुत्र ;- अविवाहित वयस्क पुत्री या वयस्क पुत्र किसी शारीरिक या मानसिक या क्षति के कारण अपना भरण –पोषण नहीं कर सकते है तो अपने पिता से मैन्ट्नन्स ले सकते है
- पिता या माता ;- पिता या माता अपनी परवरिश नहीं कर पा रहे तो आपने पुत्र से परवरिश करने का पैसे ले सकते है अपना गुजारा करने के लिए
भरण-पोषण के लिए आवेदन किस आधार पर किया जा सकता है
जब किसी व्यक्ति के भरणपोषण का नैतिक जिम्मेदारी है यदि वह गुजारा देने से इनकार कर देता है या उससे अपेक्षा करता है उसे व्यक्ति के पास पर्याप्त साधन है जिससे कि वह maintenance कर सकता है आवेदककर्ता एवं अपना गुजरा करने में स्वयं असमर्थ है.
गुजारा भत्ते का आवेदन किसके विरुद्ध में किया जा सकता है
गुजारे भत्ते का आवेदन संतान पत्नी अपने पति के विरुद्ध संतान अपने पिता के विरुद्ध माता-पिता अपने पुत्र के विरुद्ध कर सकते हैं
पत्नी कब अपना गुजारा भत्ता पाने की अधिकरणी नहीं है
यदि पत्नीभरण -पोषण पाने की अधिग्करनी नहीं है यदि वह
- जब पत्नी अपना जीवन यापन व्यभिचार से बिता रही हो तथा जारकर्म करती है
- जब पत्नी अपने पति से आपसी समझौते सेअलग-अलग रह रहे हो
- जब कोई पत्नी अपने पति के पास पर्याप्त कारण के बिना रहने से इनकार कर देती है तो उसको मेंटेनेंस लेने का कोई अधिकार नहीं है
अब हम यह भी समझेंगे कि पर्याप्त कारण क्या है
इसके उदाहरण के माध्यम से समझेंगे यदि कोई पति दूसरा विवाह कर लेता है और पहली पत्नी से अलग रहता है या पति अपने पास कोई रखैल रख लेता है, तो उसे पत्नी उसके साथ रहने के लिए इंकार कर सकती है यह इनकार करना पर्याप्त कारण माना जाएगा।
यदि विवाह शून्य है तो पत्नी को गुजारा भत्ता पानी की अधिकरणी नहीं होगी यदि कोई स्त्री रखेल बनाकररहती हैतो भीगुजारा भत्ता पानी की हकदार नहीं है
धारा 125 cr .pc आवेदन की सुनवाई की प्रक्रिया कैसे होती है ।
धारा 125 भारतीय दंड संहिता की सुनवाई समान मामले विचरण की प्रक्रिया रहेगी
कोर्ट मे आवेदन करना ;धारा 125भारतीय दंड संहिता के के अनुसार हम न्यायालय में आवेदन करेंगे आवेदन की सुनवाई न्यायालय द्वारा की जाएगी न्यायालयको लगता है किआवेदन करता मेंटेनेंस लेने का कानूनी अधिकार है को न्यायालय द्वारा विरोधी पक्ष को समान कर देती है विरोधी पक्षकोर्ट में उपस्थित होता है तोकोर्ट तोधारा 125 भारतीय दंड सहित कीआवेदन काउत्तर कोर्ट में दाखिल करता है यदि अंतरिम भरण पोषण की एप्लीकेशन होती है तो कोर्ट द्वारा निर्णय दे दिया जाता है आवेदककर्ता द्वारा पहले सबूत कोपेश किया जाएगा विरोधी पक्ष द्वाराउसके बचाव में सबूत पेश किया जाएगा
सबूत दोनों पक्ष के समाप्त होने के बाद कोर्ट द्वारा धारा 125 के आवेदन को न्यायालय द्वारा निर्णय दे दिया जाएगा
पत्नी अधिकार वाले आर्टिकल और पढे :
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क्या धारा 498 क आईपीसी है – 498a IPC in Hindi है -जमानत,सजा ,बचाव
Q.1 .कब पत्नी को अंतरिम भरण पोषण देने से इनकार किया जा सकता है ?
Ans .कुछ परिस्थितियों में पत्नी को अंतरिम भरण-पोषण देने से इनकार किया जा सकता है, जैसे कि जब वह अपना भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त कमाई कर रही हो या यदि उसने दोबारा शादी कर ली हो। इसके अतिरिक्त,पत्नी ने बिना किसी उचित कारण के अपने पति को छोड़ दिया है, या यदि वह व्यभिचार में रह रही है, तो अदालत अंतरिम भरण-पोषण से इनकार कर सकती है।
Q.2.क्या तलाक के बाद भी पति को खर्चा देना होगा ?
Ans.- तलाक के बाद पति गुजारा भता देने का पति का दायित्व स्वतः समाप्त नहीं हो जाता है। पत्नी और बच्चों गुजारा भत्ता देना होता है जब तक पत्नी किसी से दूसरी शादी नहीं कर लेती जै या गुजारा भत्ता समझौता, तो उसे अभी भी खर्चों के लिए योगदान करने की आवश्यकता है
अगर वह कमा रही है तो क्या पत्नी भरण-पोषण का दावा कर सकती है?’
निष्कर्ष
धारा 125 क्रिमिनल प्रोसीजर कोड महिला , बच्चे , माता पिता की गुजारा भत्ता के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी संरक्षण है। तो आपको इस कानूनी फ्रेमवर्क को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यदि आपको किसी कानूनी सलाहकार की आवश्यकता होती है जो आपको धारा 125 क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के तहत वित्तीय सहायता की मांग में मदद कर सकता है, तो हमसे संपर्क करें: 8700437159
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