चैक बाउन्स  केस  हिन्दी : भुगतान की विफलता का केस

चेक बाउंस केस वह मामला है जहां चेक के भुगतान में विफलता होती है। इस स्थिति में,चेक बाउंस केस: भुगतान की विफलता का केस कानूनी सहायता बहुत महत्त्वपूर्ण होती है।

चेक बाउंस केस में, चेक जारी करने वाले व्यक्ति या कंपनी द्वारा निर्धारित चेक की रकम का भुगतान नहीं कर पाने पर समस्या उत्पन्न होती है। इस मामले में कानूनी सलाहकार की सहायता से इस मुश्किल को हल करना संभव हो सकता है।

यदि आप भी इस समस्या के सामने हैं और कानूनी सलाह चाहते हैं, तो हमारा लेख आपको चेक बाउंस केस में कानूनी सलाहकार की खोज करने में मदद करेगा। कृपया ध्यान दें कि हर केस की स्थिति विशेष होती है और कानूनी सलाहकार की सलाह केवल व्यक्तिगत परिस्थितियों पर निर्भर करेगी

 क्या  अनादर होने पर धारा 138 के निगोशीअबल इन्स्ट्रमन्ट ऐक्ट तहत केस फाइल होता है

 आजकल पैसे का लेन-देन ऑनलाइन के माध्यम से हो रहा है। चेक देने का प्रचलन काफी समय पुराना है, परंतु आज भी लोग चेक का उपयोग सिक्योरिटी के रूप में करते हैं। उदाहरण के रूप में, अगर कोई दुकानदार है और उसने किसी होलसेलर से कुछ सामान मंगाया है, लेकिन उसके पास पैसे नहीं हैं, तो वह उधार पैसे के बदले सिक्योरिटी के रूप में चेक देता है। पर कुछ लोग दिए गए चैक  का गलत  तिरके से उपयोग कर रहे है । और झूठ चैक बॉउनकिनग का मुकदमा लगा देते है ।

यदि आप किसी से उधार लेते हैं या बैंक से लेते हैं, तो भी आपका चेक सिक्योरिटी के रूप में लिया जाता है। कोई व्यक्ति किसी के बकाया पैसे का देनदार रहता है, उसके एवज में चैक काट देता है और उसकी जिम्मेदारी होती है कि वह अपने बैंक में पर्याप्त पैसा रखे जिससे कि चैक का अनादर न हो। यदि बैंक खाते में पैसा कम रहता है तो आमतौर पर चैक  बाउंस हो जाता है, जिसने जमा किया है, उसके बैंक में आ जाता है। मुख्यतः कारण यह होते हैं जैसे की पर्याप्त धन न होने का, साइन का मिलन न होने का, इस तरीके से काफी सारे कारण होते हैं चैक बाउन्स के।  

चैक बाउन्स केस   क्या होता है  

चैक को धारा 6  निगोशीअबल इन्स्ट्रमन्ट ऐक्ट मे परिभाषित किया है  चैक  एक ऐसा विनियम पत्र है  एक “चैक” एक लिखित आदेश होता है जिसमें पैसे की मांग किसी विशेष बैंक पर की जाती है। आप जब चाहें, उस बैंक से पैसे मांग सकते हैं। यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में कट जाने वाले चैक की छवि और इलेक्ट्रॉनिक रूप  में चैक  भी शामिल होते हैं। चैक किसी को इशू करने के 3 महीने तक यानि की नब्बे दिनों तक मानए होता है उसके बाद  इशू किया हुआ चैक अमान्य हो जाता है 

चैक बाउन्स केस डालने की क्या प्रक्रिया होती

what is the procedure for cheque bounching case.

    1  पहले कानूनी notice भेजे भुगतानकर्ता के पास

  • चैक बाउंस सूचना होने होने  पर आपको भुगतानकर्ता को 30 दिनों के अंदर चेक बाउंस से संबंधित कानूनी नोटिस देना होगा। और अपने पैसे की मांग की जाती  है जो राशि चैक पर लिखी होती है
  • भुगतानकर्ता को नोटिस मे 15 दिन का समय रहता है उसे भुगतान करने का यदि वह अनादर चैक की राशि  भुगतान करने मे असफल हो
  • आपको भुगतानकर्ता के खिलाफ न्यायालय में 30 दिनों के भीतर शिकायत प्रस्तुत करनी होगी।
  • धारा 138 ऐक्ट के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

2 न्यायालय मे केस दाखिल प्रक्रिया ;-

यह अदालती प्रक्रिया  परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 138 चेक बाउंस के तहत केस कैसे दाखिल किया जाता              है।

  • शिकायतकर्ता को न्यायालय में मुकदमा दाखिल करने के लिए, धारा 142 का उपयोग होता है, जो की नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स के अंतर्गत आता है। उसके बाद, आरोपी को समन का आदेश दिया जाता है, जिससे वह निश्चित समय पर न्यायालय में हाजिर हो, अपने वकील के साथ आ सकता है।
  • 138 नागरिक इन्स्ट्रूमेंट्स ऐक्ट के मामले में, जब अपराधी को जमानत मिलती है, तो वह कोर्ट में जमानत देने के लिए अपनी जमानत प्रस्तुत करता है। जमानती प्रस्ताव में प्रतिभू के रूप में वाहन के RC, FD या अन्य संपत्तियाँ पेपर भी कोर्ट में जमा की जाती हैं।
  • इस मामले में, शिकायतकर्ता अपने सबूतों को कोर्ट में प्रस्तुत करता है, और अपने गवाहों की साक्ष्य भी पेश करता है। वहाँ पर, अपराधी भी अपनी बचाव की गवाही पेश करता है।
  • अंत में, जब दोनों पक्षों की गवाही समाप्त होती है, तो न्यायालय अपने निर्णय पर पहुंचती है। अगर मुकदमा सिद्ध होता है, तो अपराधी को सजा होती है। लेकिन अगर मुकदमा सिद्ध नहीं हो पाता है, तो अपराधी को दोष मुक्त कर दिया जाता है।

चैक अनादर 138  परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की  कोर्ट क्षेत्राधिकार क्या रहती  है

चेक के अनादर और 138 एक्ट के मामले में, कोर्ट क्षेत्राधिकार की बात करते हुए, यहाँ एक महत्वपूर्ण सिद्धांत होता है। जिस स्थान पर शिकायतकर्ता का बैंक होता है और जहां चेक बाउंस होता है, वहां के स्थानीय न्यायाधीश का क्षेत्राधिकार होता है। इसका मतलब है कि मामले को वहीं के न्यायिक स्तर पर सुना जाना चाहिए, जहां शियतकर्ता  का बैंक है।

अगर शिकायतकर्ता का बैंक उत्तम नगर में है, तो उस स्थान के स्थानीय न्यायाधीश के पास आपको अपना केस दर्ज करना होगा। इसलिए, शिकायतकर्ता को अपना मामला द्वारका कोर्ट में दाखिल करना चाहिए, क्योंकि द्वारका कोर्ट उस स्थान के स्थानीय न्यायिक अधिकार के अंतर्गत आता है।

चेक बाउंस होने पर चेक दाता/ शिकायतकर्ता  की मृत्यु होने पर क्या प्रक्रिया?

दाता की मृत्यु के मामले में, केस खत्म हो जाता है। अगर शिकायतकर्ता मृत्यु हो जाता है और झारखंड हाई कोर्ट ने केस में निर्धारित किया है कि अजय कुमार अग्रवाल बनाम झारखंड राज्य 2003 करिमेस 226 पर आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 256 मजिस्ट्रेट को शिकायतकर्ता की मृत्यु पर मुकदमा जारी रखने की अनुमति देने के आसपास की परिस्थितियों और रिकॉर्ड्स से संतुष्ट होते हैं, तो मजिस्ट्रेट प्रतिस्थापन की पूरी तरह से अनुमति दे सकता है। उचित मामलों में, बेटे को अपने पिता की मृत्यु पर शिकायतकर्ता के रूप में प्रतिस्थापित किया जा सकता है।

 चैक बाउन्स केस मे कितने दिन की सजा होती है
cheque bounce case punishment 

यह एक अपराधिक मामला है और इसमें सजा का प्रावधान है। शिकायतकर्ता अगर अपने केस को न्यायालय में प्रमाणित करता है, तो निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत कारावास हो सकता है, जिसकी अवधि अधिकतम दो वर्ष तक हो सकती है या फिर जुर्माने का प्रावधान हो सकता है, जो चेक के रकम का दोगुना तक हो सकता है, या फिर दोनों हो सकते हैं, जो दंडात्मक हो सकता है। लेकिन न्यायालय के हाथ में यह अधिकार होता है कि वह दंड कम कर सकता है, यदि उन्हें उचित लगता है।

चेक बाउंस केस से कैसे बचें?

how to escape from cheque bounce case

चेक बाउंस केस से बचाव के लिए और सुरक्षित रहने के लिए यहाँ कुछ और सुझाव हैं:

  1. किसी भी व्यक्ति को बिना सोचे-समझे चेक न दें, खासकर खाली चेक।
  2. चेक देने से पहले बैंक बैलेंस की जाँच करें ताकि चेक अनादर न हो।
  3. सिक्योरिटी के रूप में चेक देने पर लिखित में स्पष्टीकरण करें और उसे सुरक्षित जगह पर रखें।
  4. लेन-देन में चेक को सिक्योरिटी , बल्कि आपस में खाते के माध्यम से पैसे लें-दें।
  5. अगर चेक का प्रयोग होता है तो समय से पहले चेक वापस लेने की शर्त रखें।
  6. किसी भी चेक को बैंक या वित्तीय संस्था के माध्यम वैधता और सत्यता की जाँच करें।
चैक बाउन्स पुलिस शिकायत  कर सकते है

किसी के साथ किसी ने अपराध किया है जो भारतीय दंड सहित  के तहत आता है आप उसके खिलाप  पुलिस मे कम्प्लैन्ट कर सकते है FIR करने के लिए  या शिकायत दर्ज कर सकते है कोर्ट मे  ।

 

यदि आप चेक बाउंस केस के शिकार हैं और एक वकील की तलाश में हैं, तो आप अकेले नहीं हैं। कानूनी सलाहकारों की विशेषज्ञता और सहायता आपको मामले को समझने और समाधान करने में मदद कर सकती है। अपने मामले की विशेष परिस्थितियों को समझाने और उन्हें समाधान करने के लिए, एक अच्छे वकील की मदद से आप अपने मामले को आगे बढ़ा सकते हैं।

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समापन 

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Adv Vikas Shukla

Vikas Shukla is a lawyer and writer of blog. He writes on various law topics like crime, civil, recovery and family matters. He is a graduate in law who deals and practices with criminal matters, civil matters, recovery matters, and family disputes. He has been practicing for more than 5 above years and has cases from all over India. He is honest and hardworking in his field. He helps people by solving their legal problems. His blog provide valuable insights about law topics which are helpful for people.

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