धारा 82 भारतीय न्याय संहिता 2023! 494 IPC In Hindi

नमस्ते दोस्तो आज मे  धारा 82 भारतीय न्याय संहिता 2023 !494 ipc in hindi चर्चा करने जा रहा  हू यहा धारा विवाह से विवाह  के अपराध  से संबंधित है पति और पत्नी का एक पवित्र रिश्ता है जब कोई  एक दूसरे  को  धोखा देते हैं  और दूसरा विवाहकर लेते हैं बिना तलाक लिए हुए इन अपराधों को रोकने के लिए  दंड की व्यवस्था की गई है जो भारतीय नागरिक संहिता में प्रावधान किया गया है उसको मैं सरल भाषा में समझाने की कोशिश करूंगा   धारा 82 भारतीय न्याय संहिता 2023 कौन से अपराध में लगती है क्या इसमें समझौता किया जा सकता है क्या मुसलमान वर्ग के लोगों पर लागू होता है इसमें दंड कितना है इन सभी विषय पर बात करुगा 

1 . कब  धारा 82 भारतीय न्याय संहिता 2023 लगती है ?

धारा 494 भारतीय दंड संहिता (IPC) /  धारा 82 भारतीय न्याय संहिता 2023 के अंतर्गत आता है और इसका संबंध द्विविवाह (Bigamy) से है। धारा 84 (BNS)  का उपयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है:

  1. पति जीवित होने पर दूसरा विवाह : यदि किसी व्यक्ति का पति या पत्नी जीवित है और वह किसी दूसरी महिला या पुरुष से विवाह कर लेता है, तो यह द्विविवाह माना जाता है और यह धारा 81 (BNS) / 494 ipc  के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।
  2. पत्नी जीवित होने पर दूसरा विवाह-: यदि किसी महिला का पति जीवित है और वह किसी दूसरे पुरुष से विवाह कर लेती है, तो यह भी द्विविवाह के अंतर्गत आता है और यह धारा 494 के तहत दंडनीय अपराध है।
  3. विवाह शून्य ( वॉइड): यदि किसी व्यक्ति ने पहले से ही एक वैध विवाह कर रखा है और उसका पति या पत्नी जीवित है, तो दूसरा विवाह शून्य माना जाएगा। इसका मतलब है कि ऐसा विवाह कानूनी तौर पर मान्य नहीं होगा और यह द्विविवाह के अंतर्गत आएगा।

2 धारा 494 के अंतर्गत आने वाले अपराध की सजा:

धारा 82 भारतीय न्याय संहिता 2023 ! 494 IPC In Hindi )

दूसरा विवाह शून्य हो जाएगा। 

इसके तहत दोषी पाए जाने पर सात साल तक का कारावास और जुर्माना दोनों का प्रावधान है।

धारा 494 भारतीय दंड संहिता (IPC)/ धारा 82 (BNS)  भारतीय न्याय संहिता 2023  के अंतर्गत द्विविवाह (बिगेमी) को अपराध मानती है, लेकिन इसके कुछ अपवाद भी हैं। निम्नलिखित स्थितियों में दूसरा विवाह करना अपराध नहीं माना जाएगा:

  1.  पहले विवाह की निरस्ती (नल एंड वॉइड) की घोषणा: यदि पहले विवाह को किसी सक्षम न्यायालय ने अमान्य (नल एंड वॉइड) घोषित कर दिया हो, तो दूसरा विवाह करना अपराध नहीं होगा।
  2. पति/पत्नी का सात वर्ष तक अनुपस्थित रहना: यदि पति या पत्नी सात वर्षों से लगातार अनुपस्थित रहा हो और उसके जीवित रहने के बारे में कोई जानकारी न हो, तो दूसरा विवाह करना अपराध नहीं माना जाएगा। यह शर्त है कि इस बारे में व्यक्ति ने अपने दूसरे विवाह से पहले उचित सावधानी बरती हो और न्यायालय से अनुमति प्राप्त की हो।
  3. मुसलमानों के व्यक्तिगत कानून: धारा 494 का अनुपालन हिंदू धर्मावलंबियों पर होता है। मुसलमानों को उनके व्यक्तिगत कानून के अनुसार चार पत्नियों को एक साथ रखने की अनुमति प्राप्त है। अतः मुस्लिम पुरुषों द्वारा एक से अधिक विवाह करना धारा 494 के अंतर्गत नहीं आता।

यह स्पष्ट है कि इन अपवादों के अंतर्गत आने वाली स्थितियों में दूसरा विवाह करना भारतीय दंड संहिता की धारा 494/धारा 82 भारतीय न्याय संहिता 2023  के तहत अपराध नहीं होगा।

भारतीय न्याय संहिता 2023 82(2):

के अनुसार, धारा 82 (2)(BNS)  भारतीय न्याय संहिता 2023  में एक विशेष उपधारा जोड़ी गई है, जो पूर्व विवाह की जानकारी छुपाकर दूसरा विवाह करने के अपराध से संबंधित है। इसका प्रावधान निम्नलिखित है:

  1. अपराध का विवरण: यदि कोई व्यक्ति अपने पूर्व विवाह की जानकारी छुपाकर दूसरा विवाह करता है, तो इसे अपराध माना जाएगा।
  2. सजा: इस अपराध के लिए दोषी पाए जाने पर, व्यक्ति को 10 वर्ष तक के कारावास (कैद) की सजा हो सकती है। इसके साथ ही, उसे जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।

इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विवाह में पारदर्शिता बनी रहे और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी न हो। ऐसे मामलों में सख्त सजा का प्रावधान लोगों को इस तरह के कृत्यों से रोकने के लिए

क्या 494 आईपीसी/ भारतीय न्याय संहिता 2023 82(1) शमन/ Compunding सकता है 

इस प्रक्रिया के लिए निम्नलिखित कदम आवश्यक हैं:

  1. पीड़ित की सहमति: जिस व्यक्ति ने इस अपराध के कारण पीड़ा झेली है, जैसे कि पहला पति या पत्नी, उसे इस अपराध को समझौते के माध्यम से समाप्त करने के लिए सहमति देनी होगी।
  2. न्यायालय की अनुज्ञा (अनुमति): इसके बाद, इस समझौते को मान्यता प्राप्त करने के लिए न्यायालय की अनुमति लेनी होगी। न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि यह समझौता स्वेच्छा और बिना किसी दबाव के किया गया है।
 धारा 82 BNS 2023 के अनुसार, यह एक असंज्ञेय (non-cognizable) अपराध है।

किस न्यायालय द्वारा विचारण है

प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट विचरणीय

आप के उपयोगी आर्टिकल पढे :पढ़ने के लिए क्लिक करे

पीड़ित महिला को अधिकार और कानूनी उपचार प्रदान किया गया है

क्या धारा 498 क आईपीसी है

गुजारा भत्ता  ने दे पति कैसे ले गुजारा भत्ता 

आशा करता हूं आप मेरे लिए जानकारी आपको अच्छी लगी आपको या आपके किसी परिचय वाले को इस तरीके की समस्या मे  हैं मेरे  इस ब्लॉक पोस्ट को शेयर करना ना भूले किस प्रकार की कोई  प्रश्न भी  है तो मेरे दिए गए नंबर 8700437159 व्हात्सप्प केआर सकते है 

 

 

 

Adv Vikas Shukla

Vikas Shukla is a lawyer and writer of blog. He writes on various law topics like crime, civil, recovery and family matters. He is a graduate in law who deals and practices with criminal matters, civil matters, recovery matters, and family disputes. He has been practicing for more than 5 above years and has cases from all over India. He is honest and hardworking in his field. He helps people by solving their legal problems. His blog provide valuable insights about law topics which are helpful for people.

Sharing Is Caring: