144 BNSS in Hindi के अंतर्गत Maintenance का दावा कैसे करें? (2025 गाइड)

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क्या आप एक महिला हैं और आपके पति द्वारा तरह -तरह की मानसिक प्रताड़ना और मारपीट की जा रही है और आपको किसी प्रकार का भी घर चलाने के लिए खर्च नहीं मिल रहा है आप धन कमाने के सक्षम नही हो   तो आपके  लिए इस समस्या का समाधान करने के लिए

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मैं आज एक सरल ढंग 144 BNSS in hindi के अंतर्गत Maintenance का दावा कैसे करें? (2025 गाइड) इस आर्टिकल के माध्यम से समझाऊंगा की आपके पास ऐसी कौन से कानूनी अधिकार है इसके साथ-साथ अपने बच्चों का भी गुजारा भत्ता मांग सकते हैं

क्या है धारा 144 BNSS

Table Contents

BNSS Section 144 के तहत भरण-पोषण (Maintenance) का प्रावधान क्या है

144 BNSS भरण पोषण का अर्थ यह है आर्थिक मदद करने से है

उदाहरण :-

जब कोई पत्नी अपने गुज़ारे के लिए असमर्थ होती है और पति उसके भरण-पोषण के लिए खर्चा नहीं देता, तो वह अपने पति से गुज़ारा भत्ता मांग सकती है। इसी को हम मेंटेनेंस कहते हैं। पत्नी यदि कमाने में सक्षम नहीं है, तो वह इसका हकदार होती है।


144 BNSS in Hindi (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 144 के तहत भरण-पोषण (Maintenance) के लिए आवेदन कौन कर सकता है?

BNSS की धारा 144 के अंतर्गत भरण-पोषण के लिए निम्नलिखित व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं:

  1. पत्नी (Wife):
    यदि पत्नी स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ है और पति उसे आवश्यक खर्च नहीं दे रहा है, तो वह पति से भरण-पोषण की मांग कर सकती है।
  2. वैध या नाजायज – जब कोई संतान विवाहित या अविवाहित अपना भरण पोषण नही कर सकता तो अपने पिता से गुजारा भत्ता दावा कर सकता है
  3. वैध या नाजायज- जब कोई संतान शारीरिक या मानसिक रोग या चोट के कारण अपना भरण पोषण नही कर पा रहा तो पिता से गुजारा भत्ता की माग कर सकता है
  4. वृद्ध माता और पिता –वृद्ध माता और पिता जो अपना भरण पोषण नही करते है तो संतान से गुजारा भत्ता मागा सकते है

नोट :- ये धारा सभी धर्म के लोगो पर लागू होती है किस का पर्सनल लॉं लागू नही होता है


 BNSS 144 Maintenance IN Hindi पति, पत्नी या बच्चो के लिए मेंटेनेंस क्यों जरुरी होता है?

sec 144 of BNSS
  1. मेंटेनेंस से पत्नी बच्चों को आर्थिक सहायता मिलती है 
  2. अपने दैनिक जीवन का यापन करने के लिए जो आर्थिक सहायता मिलती है 
  3. मेंटेनेंस से बच्चे अपनी पढ़ाई को जारी रख सकते हैं
  4. पति का और बच्चे का कर्तव्य होता है कि वह अपने पत्नी और बच्चे का  भरण पोषण करें
  5. जिन लोगों को भरण पोषण मिलता है उन्हें एक आर्थिक सहायता मिलती है जिससे वह अपने जीवन यापन कर सकते हैं

क्या पति BNSS 144 के तहत भरण-पोषण (मेंटेनेंस) का केस जीत सकता है?

धारा 144 BNSS के अंतर्गत कोर्ट का फैसला अपने हक में लाना चाहते हो तो आपको निम्नलिखित कार्य करने होंगे जिससे आपका हक में फैसला आ जाएगा और आपको धारा 144 BNSS  मेंटेनेंस देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी

  1. ऐसे सबूत इकट्ठा करें जो यह प्रूफ करता हो की पत्नी के साथ किसी प्रकार की 
  2. क्रूरता   नहीं हुई है क्रूरता प्रूफ करने का अधिकार पत्नी का ही है
  3. पत्नी पढ़े-लिखी है कितनी समर्थ है कि वह अपना भरण पोषण स्वयं कर सकती है उसके पास पर्याप्त साधन है
  4. पत्नी नौकरी करती है कितना समर्थ है कि वह अपना भरण पोषण कर सकती है
  5. पति द्वारा यह प्रूफ कर दिया जाता है की पत्नी किसी के साथ अवैध संबंध (illegal relationship) में रह रही है तो उसके मेंटेनेंस का केस खारिज हो जाएगा

धारा 144 (2) BNSS: भत्ता कब से देय होगा (144 4 bnss in hindi)

 धारा 144 (2) BNSS के अनुसार मेंटेनेंस या इंटरिम मेंटेनेंस और कार्यवाही खर्चा (केस करने का खर्चा) – जो मेंटेनेंस मिलता है, वह आदेश की तारीख से मिलेगा या जिस दिन आपने केस को दाखिल किया था

उदाहरण:
पत्नी ने 1 मार्च 2024 को इंटरिम मेंटेनेंस के लिए अर्जी दी। कोर्ट ने 15 जून 2024 को आदेश दिया कि पति ₹4000 प्रतिमाह देगा।
👉 ज्यादातर मामलों में ₹4000 15 जून 2024 से लागू होगा, पर कोर्ट चाहे तो इसे 1 मार्च 2024 से भी लागू कर सकता है।


धारा 144 (3): आदेश का पालन न करने पर क्या होता है

धारा 144 (3): BNSS ( bnss 144 3 in hindi )मजिस्ट्रेट द्वारा मेंटेनेंस का जो आदेश हुआ था, यदि कोई व्यक्ति उस आदेश का पालन नहीं करता, तो न्यायालय ऐसे व्यक्ति के खिलाफ वारंट जारी कर सकती है। साथ ही, उसकी संपत्ति को ज़ब्त कर बकाया राशि की वसूली की जा सकती है।

यदि व्यक्ति के पास कोई संपत्ति नहीं है या उसकी संपत्ति से वसूली संभव नहीं है, तो न्यायालय यह आदेश दे सकती है कि उसे एक महीने के लिए जेल भेजा जाए — या तब तक हिरासत में रखा जाए जब तक वह बकाया राशि का भुगतान न कर दे।

 उदाहरण:

कल्पना करें कि एक व्यक्ति, अर्जुन, जो अच्छी कमाई करता है, अपनी पत्नी द्रौपदी का भरण-पोषण नहीं करता। द्रौपदी ने अर्जुन के खिलाफ मजिस्ट्रेट के समक्ष मेंटेनेंस के लिए आवेदन दायर किया। मजिस्ट्रेट ने आदेश दिया कि अर्जुन हर महीने द्रौपदी को ₹12,000 भरण-पोषण के रूप में दे।

लेकिन अर्जुन ने इस आदेश का पालन नहीं किया। तब मजिस्ट्रेट ने उसकी बैंक खाते और movable property जब्त करने का आदेश दिया, जिससे बकाया राशि की वसूली की गई। अगर यह वसूली भी असफल रहती, तो कोर्ट अर्जुन को न्यायिक हिरासत (caravan) में भेज सकता था।


कब मेंटेनेंस  आदेश को रद्द कराया जा सकता है

धारा 144 (5) BNNS के अनुसार मेंटेनेंस  आदेश, अगर ये साबित हो जाए कि पत्नी, जिसके हक़ में मेंटेनेंस का आदेश दिया गया है, वो किसी और के साथ अवैध संबंध में रह रही है, या फिर बिना किसी उचित कारण  के अपने पति के साथ रहने से मना कर रही है, तो मजिस्ट्रेट उस मेंटेनेंस के आदेश को रद्द कर सकता है।


धारा 144 (मेंटेनेंस) से जुड़े अधिकारों की तालिका
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
क्रम संख्यास्थिति / शर्तेंक्या आदेश हो सकता है?
1️⃣पत्नी, बच्चे या माता-पिता खुद का भरण-पोषण नहीं कर पा रहे हैंमजिस्ट्रेट मेंटेनेंस (गुजारा भत्ता) का आदेश दे सकता है
2️⃣पत्नी बिना किसी कारण के पति के साथ नहीं रह रही हैमेंटेनेंस का आदेश रद्द किया जा सकता है
3️⃣पत्नी किसी अवैध संबंध (व्यभिचार) में लिप्त हैमजिस्ट्रेट मेंटेनेंस का आदेश रद्द कर सकता है
4️⃣पति कोर्ट के आदेश के बावजूद भुगतान नहीं करताउसकी संपत्ति ज़ब्त हो सकती है / जेल भेजा जा सकता है
5️⃣कोई व्यक्ति इंटरिम मेंटेनेंस की मांग करता हैकोर्ट केस के दौरान भी अंतरिम खर्च (Interim Maintenance) का आदेश दे सकती है
6️⃣केस खर्च (litigation expense) की मांगकोर्ट केस का खर्च भी अलग से दिलवा सकती है

मेंटेनेंस क्या होता है?

मेंटेनेंस का मतलब है — किसी व्यक्ति को उसकी ज़रूरतों के लिए आर्थिक मदद देना। जैसे पत्नी, बच्चे या माता-पिता जो खुद अपना खर्च नहीं उठा सकते।

कौन मेंटेनेंस मांग सकता है?

पत्नी, नाबालिग बच्चे, अविवाहित बेटियाँ, विकलांग बच्चे और असहाय माता-पिता — ये सब कोर्ट से मेंटेनेंस की मांग कर सकते हैं।

क्या मेंटेनेंस स्थायी होता है?

नहीं, अगर हालात बदलते हैं — जैसे पत्नी की नौकरी लग जाए या वो अवैध संबंध में पाई जाए — तो आदेश रद्द भी हो सकता है।

क्या कोर्ट केस के दौरान भी खर्चा मिल सकता है?

हां, इसे interim maintenance कहते हैं — कोर्ट केस खत्म होने तक भी खर्चा मिल सकता है।

क्या केस का खर्चा (litigation cost) भी मिल सकता है?

हां, अगर आप खर्च उठाने में असमर्थ हैं तो कोर्ट केस के खर्च के लिए भी पति से पैसे दिलवा सकती है

निष्कर्ष: धारा 144 BNSS को मैं समझने की कोशिश की है जो आपको समझ में आ गई होगी क्या दायित्व है यदि दायित्व को अपने निभाया नहीं तो आपको क्या दंड मिलेगा और यदि आपको इस आर्टिकल के अंदर समस्या का हल नहीं हो पाया है या कोई प्रश्न है तो आप मेरे से कमेंट कर सकते हैं

Adv Vikas Shukla

Vikas Shukla is a lawyer and writer of blog. He writes on various law topics like crime, civil, recovery and family matters. He is a graduate in law who deals and practices with criminal matters, civil matters, recovery matters, and family disputes. He has been practicing for more than 5 above years and has cases from all over India. He is honest and hardworking in his field. He helps people by solving their legal problems. His blog provide valuable insights about law topics which are helpful for people.

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